पंचांग सीखे panchaang seekhe
About Course
सभी विषय या वस्तु के प्रमुख पाँच अंग को पंचांग कहते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के पाँच अंगों की दैनिक जानकारी पंचांग में दी जाती है।
ये अंग
- तिथि,
- वार,
- नक्षत्र,
- योग,
- करण
हैं। सूर्य एवं चंद्र के अंतर से तिथि का निर्माण होता है। पूर्णिमा को सूर्य-चंद्र एक-दूसरे के सामने एवं अमावस्या को एक साथ रहते हैं। पूर्ण ग्रह सात होने के कारण सप्तवारों की रचना की गई है।
यह सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय पूर्व तक रहता है। जिस दिन चंद्रमा जिस स्थान पर होता है उस दिन वही नक्षत्र रहता है। सूर्य-चंद्र के 13 अंश 20 कला साथ चलने से एक योग होता है। ये कुल 27 हैं। तिथि के अर्द्ध भाग को करण कहते हैं। इनकी संख्या ग्यारह है। स्थिर करण 7 एवं चर करण 4 होते हैं।
ज्योतिष की चर्चा में राशि का स्थान प्रमुख रूप से होता है। इसी से सभी ग्रह की स्थिति जानी जाती है। ये बारह होती हैं। इनका क्रम भी निश्चित है। अर्थात मेष राशि के पश्चात वृषभ राशि तथा पूर्व में मीन राशि आती है। राशियों का प्रारंभ मेष राशि से होकर अंत मीन राशि पर होता है। इस राशि के समूह को राशि चक्र या भाग चक्र कहते हैं।
यह ग्रहों के मार्ग के हिस्सों में रहता है। यह मार्ग 360 अंश का है। इसके सम बारह हिस्से अर्थात 30-30 अंश की जगह खगोल में एक-एक राशि के हैं। अर्थात प्रत्येक राशि 30 अंश की है। इनके नाम उस स्थान की भौगोलिक आकृति पर ऋषियों ने अथवा आदि ज्योतिषियों ने दिए हैं। अर्थात प्रथम शून्य से लेकर 30 अंश तक की भौगोलिक स्थिति भाग चक्र में मेष के (भेड़ के) आकार की होने के कारण उसे मेष नाम दिया गया है।
सरल शब्दों में कहें तो ग्रह पथ पर राशियाँ स्थान का नाम है। इनका क्रम है- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन।
Course Content
Course Overview
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पंचांग
00:53 -
तिथि
01:30 -
वार + प्रहर + होरा
01:47